GAURI ASHTOTTARASATANAMAVALI-3

गौरी अष्टोत्तरशतनामावली – ३

Prefix ‘ओं’ and suffix ‘नमः’ to each name

ॐ शिवायै नमः
श्रीमहाविद्यायै
श्रीमन्मुकुटमण्डितायै
कल्याण्यै
करुणारससागरायै
कमलाराध्यायै
कालिप्रभृतिसंसेव्यायै
कमलासनसंस्तुतायै
अम्बिकायै
अनेकसौभाग्यदात्र्यै
 १०

आनन्दविग्रहायै
ईक्षणत्रयसंयुक्तायै
हृत्सरोरुहवासिन्यै
आद्यन्तरहितायै
अनेककोटिभास्करप्रभायै
ईश्वरोत्संगनिलयायै
ईतिबाधाविनाशिन्यै
इन्दिरारतिसंसेव्यायै
ईश्वरार्धशरीरिण्यै
लक्ष्म्यर्थरूपायै
 २०

लक्ष्मीशब्रह्मेशामरपूजितायै
उत्पत्यादिविनिर्मुक्तायै
विद्याप्रतिपादिन्यै
ऊर्ध्वलोकप्रदायै
हानिवृद्धिविवार्जितायै
सर्वेश्वर्यै
सर्वलभ्यायै
गुरुमूर्तिस्वरूपायै
समस्तप्राणिनिलयायै
सर्वलोकसुन्दर्यै
 ३०
 
कामाक्ष्यै
कामदात्र्यै
कामेशाङ्कनिवासिन्यै
हरार्धदेहायै
कल्हारभूषितायै
हरिलोचनायै
ललितायै
लाकिनीसेव्यायै
लब्धैश्वर्यप्रवर्तिन्यै
ह्रींकारपद्मनिलयायै
 ४०

ह्रींकारनवकौस्तुभायै
समस्तलोकजनन्यै
सर्वभूतेश्वर्यै
करीन्द्रारूढसंसेव्यायै
कमलेशसहोदर्यै
गणेशगुहाम्बायै
ह्रींकारबिन्दुलक्षितायै
एकाक्षर्यै
एकरूपायै
ऐश्वर्यफलदायिन्यै
 ५०

ओंकारवर्णनिलयायै
औदार्यादिप्रदायै
गायत्र्यै
गिरिराजकन्यायै
गूढार्थबोधिन्यै
चन्द्रशेखरार्धाङ्ग्यै
चूडामणिभूषितायै
जातीचंपकपुन्नागकेतकीकुसुमार्चितायै
तनुमध्यायै
दानवेन्द्रसंहर्त्र्यै
 ६०

दीनरक्षिण्यै
स्वधर्मपरसंसेव्यायै
धनधान्याभिवृद्धिदायै
नारायण्यै
नामरूपविवर्जितायै
अपराजितायै
परमानन्दरूपायै
परमानन्ददायै
पाशाङ्कुशाभयवरविलसत्करपल्लवायै
पुराणपुरुषसेव्यायै
 ७०

पुष्पमालाविराजितायै
फणीन्द्ररत्नशोभाढ्यायै
बदरीवनवासिन्यै
बालायै
विक्रमसंहृष्टायै
बिम्बोष्ठ्यै
बिल्वपूजितायै
बिन्दुचक्रैकनिलयायै
भवारण्यदवानलायै
भवान्यै
 ८०
 
भवरोगघ्न्यै
भवदेहार्धधारिण्यै
भक्तसेव्यायै
भक्तगण्यायै
भाग्यवृद्धिप्रदायिन्यै
भूतिदात्र्यै
भैरवादिसंवृतायै
माहेश्वर्यै
सर्वेष्टायै
श्रीमहादेव्यै
 ९०
 
त्रिपुरसुन्दर्यै
मुक्तिदात्र्यै
राजराजेश्वर्यै
विद्याप्रदायिन्यै
भवरूपायै
विश्वमोहिन्यै
शंकर्यै
शत्रुसंहर्त्र्यै
त्रिपुरायै
त्रिपुरेश्वर्यै
 १००
 
श्रीशारदासंसेव्यायै
श्रीमत्सिंहासनेश्वर्यै
श्रीमन्मुनीन्द्रसंसेव्यायै
श्रीमन्नगरनायिकायै
श्रीराजराजेश्वर्यै
श्रीस्वर्णगौर्यै
श्रीमात्रे
श्रीमहाराज्ञ्यै
 १०८

Sri P R Ramamurthy Ji was the author of this website. When he started this website in 2009, he was in his eighties. He was able to publish such a great number of posts in limited time of 4 years. We appreciate his enthusiasm for Sanskrit Literature. Authors story in his own words : http://ramamurthypr1931.blogspot.com/

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