LAKSHMI ASHTOTTARASATANAMA STOTRAM – POORVABHAGAH

          लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम्स्तोत्रम्
        (पूर्वभागः)
      
श्री देव्युवाच-
देव देव महादेव त्रिकालज्ञ महेश्वर।
करुणाकर देवेश भक्तानुग्रहकारक
अष्टोत्तरशतं लक्ष्म्याः श्रोतुमिच्छामि तत्त्वतः॥१॥
ईश्वर उवाच-
देवि साधु महाभागे महाभाग्यप्रदायकम्।
सर्वैश्वर्यकरं पुण्यं सर्वपापप्रणाशनम्॥२॥
सर्वदारिद्र्यशमनं श्रवणाद्भुक्तिमुक्तिदम्।
राजवश्यकरं दिव्यं गुह्याद्गुह्यतमं परम् ॥३॥
दुर्लभं सर्वदेवानां चतुष्षष्टिकलास्पदम्।
पद्मादीनां नवानां च निधीनां नित्यदायकम्॥४॥
समस्तदेवसंसेव्यमणिमाद्यष्टसिद्धिदम्।
किमत्र बहुनोक्तेन देवीप्रत्यक्षकारकम्॥५॥
तव प्रीत्याद्य वक्ष्यामि समाहितमनाः श्रुणु।
अष्टोत्तरशतस्यास्य महालक्ष्मीस्तु देवता ॥६॥
क्लीं बीजपदमित्युक्तं शक्तिस्तु भुवनेश्वरी।
अंगन्यास करन्यास स इत्यादि प्रकीर्तितः॥७॥
ध्यानम्।
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां
पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥८॥
सरसिजनयने सरोजहस्ते
धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ।।९॥

GAURI ASHTOTTARASATANAMAVALI-3

गौरी अष्टोत्तरशतनामावली – ३

Prefix ‘ओं’ and suffix ‘नमः’ to each name

ॐ शिवायै नमः
श्रीमहाविद्यायै
श्रीमन्मुकुटमण्डितायै
कल्याण्यै
करुणारससागरायै
कमलाराध्यायै
कालिप्रभृतिसंसेव्यायै
कमलासनसंस्तुतायै
अम्बिकायै
अनेकसौभाग्यदात्र्यै
 १०

आनन्दविग्रहायै
ईक्षणत्रयसंयुक्तायै
हृत्सरोरुहवासिन्यै
आद्यन्तरहितायै
अनेककोटिभास्करप्रभायै
ईश्वरोत्संगनिलयायै
ईतिबाधाविनाशिन्यै
इन्दिरारतिसंसेव्यायै
ईश्वरार्धशरीरिण्यै
लक्ष्म्यर्थरूपायै
 २०

लक्ष्मीशब्रह्मेशामरपूजितायै
उत्पत्यादिविनिर्मुक्तायै
विद्याप्रतिपादिन्यै
ऊर्ध्वलोकप्रदायै
हानिवृद्धिविवार्जितायै
सर्वेश्वर्यै
सर्वलभ्यायै
गुरुमूर्तिस्वरूपायै
समस्तप्राणिनिलयायै
सर्वलोकसुन्दर्यै
 ३०
 
कामाक्ष्यै
कामदात्र्यै
कामेशाङ्कनिवासिन्यै
हरार्धदेहायै
कल्हारभूषितायै
हरिलोचनायै
ललितायै
लाकिनीसेव्यायै
लब्धैश्वर्यप्रवर्तिन्यै
ह्रींकारपद्मनिलयायै
 ४०

ह्रींकारनवकौस्तुभायै
समस्तलोकजनन्यै
सर्वभूतेश्वर्यै
करीन्द्रारूढसंसेव्यायै
कमलेशसहोदर्यै
गणेशगुहाम्बायै
ह्रींकारबिन्दुलक्षितायै
एकाक्षर्यै
एकरूपायै
ऐश्वर्यफलदायिन्यै
 ५०

ओंकारवर्णनिलयायै
औदार्यादिप्रदायै
गायत्र्यै
गिरिराजकन्यायै
गूढार्थबोधिन्यै
चन्द्रशेखरार्धाङ्ग्यै
चूडामणिभूषितायै
जातीचंपकपुन्नागकेतकीकुसुमार्चितायै
तनुमध्यायै
दानवेन्द्रसंहर्त्र्यै
 ६०

दीनरक्षिण्यै
स्वधर्मपरसंसेव्यायै
धनधान्याभिवृद्धिदायै
नारायण्यै
नामरूपविवर्जितायै
अपराजितायै
परमानन्दरूपायै
परमानन्ददायै
पाशाङ्कुशाभयवरविलसत्करपल्लवायै
पुराणपुरुषसेव्यायै
 ७०

पुष्पमालाविराजितायै
फणीन्द्ररत्नशोभाढ्यायै
बदरीवनवासिन्यै
बालायै
विक्रमसंहृष्टायै
बिम्बोष्ठ्यै
बिल्वपूजितायै
बिन्दुचक्रैकनिलयायै
भवारण्यदवानलायै
भवान्यै
 ८०
 
भवरोगघ्न्यै
भवदेहार्धधारिण्यै
भक्तसेव्यायै
भक्तगण्यायै
भाग्यवृद्धिप्रदायिन्यै
भूतिदात्र्यै
भैरवादिसंवृतायै
माहेश्वर्यै
सर्वेष्टायै
श्रीमहादेव्यै
 ९०
 
त्रिपुरसुन्दर्यै
मुक्तिदात्र्यै
राजराजेश्वर्यै
विद्याप्रदायिन्यै
भवरूपायै
विश्वमोहिन्यै
शंकर्यै
शत्रुसंहर्त्र्यै
त्रिपुरायै
त्रिपुरेश्वर्यै
 १००
 
श्रीशारदासंसेव्यायै
श्रीमत्सिंहासनेश्वर्यै
श्रीमन्मुनीन्द्रसंसेव्यायै
श्रीमन्नगरनायिकायै
श्रीराजराजेश्वर्यै
श्रीस्वर्णगौर्यै
श्रीमात्रे
श्रीमहाराज्ञ्यै
 १०८

GAYATRI ASHTOTTARA SATANAMAVALI

   श्री गायत्री अष्टोत्तरशतनामावलिः
Chant prefixing ‘ओं’ and suffixing ‘नमः’
ओं श्री गायत्र्यै नमः
  जगन्मात्रे
  परब्रह्मस्वरूपिण्यै
  परमार्थप्रदायै
  जप्यायै
  ब्रह्मतेजोविवर्धिन्यै
  ब्रह्मास्त्ररूपिण्यै
  भव्यायै
  त्रिकालध्येयरूपिण्यै
  त्रिमूर्तिरूपायै                        १०
  सर्वज्ञायै
  वेदमात्रे
  मनोन्मन्यै
  बालिकायै
  तरुण्यै
  वृद्धायै
  सूर्यमण्डलवासिन्यै
  मन्देहदानवध्वंसकारिण्यै
  सर्वकारणायै
  हंसारूढायै                     २०
  गरुडारूढायै
  वृषभारूढायै
  शुभायै
  षट्कुक्षिण्यै
  त्रिपदायै
  शुद्धायै
  पञ्चशीर्षायै
  त्रिलोचनायै
  त्रिवेदरूपायै
  त्रिविधायै                          ३०            
 
  त्रिवर्गफलदायिन्यै                   
  दशहस्तायै
  चन्द्रवर्णायै
  विश्वामित्रवरप्रदायै
  दशायुधधरायै
  नित्यायै
  सन्तुष्टायै
  ब्रह्मपूजितायै
  आदिशक्त्यै
  महाविद्यायै                    ४०
  सुषुम्नाख्यायै                      
  सरस्वत्यै
  चतुर्विंशत्यक्षराढ्यायै
  सावित्र्यै
  सत्यवत्सलायै
  सन्ध्यायै
  रात्र्यै
  प्रभाताख्यायै
  सांख्यायनकुलोद्भवायै
  सर्वेश्वर्यै                       ५०
  सर्वविद्यायै                         
  सर्वमन्त्राद्यै
  अव्ययायै
  शुद्धवस्त्रायै
  शुद्धविद्यायै
  शुक्लमाल्यानुलेपनायै
  सुरसिन्धुसमायै
  सौम्यायै
  ब्रह्मलोकनिवासिन्यै
  प्रणवप्रतिपाद्यार्थायै                    ६०
    
  प्रणतोद्धरणक्षमायै
  जलाञ्जलिसुसन्तुष्टायै
  जलगर्भायै
  जलप्रियायै
  स्वाहायै
  स्वधायै
  सुधासंस्थायै
  श्रौषट्वौषट्वषट्क्रियायै
  सुरभ्यै
  षोडशकलायै                        ७०
  मुनिबृन्दनिषेवितायै
  यज्ञप्रियायै
  यज्ञमूर्त्यै
  स्रुक्स्रुवाज्यस्वरूपिण्यै
  अक्षमालाधरायै
  अक्षमालासंस्थायै
  
  अक्षराकृत्यै
  मधुछन्दसे
  ऋषिप्रीतायै
  स्वच्छन्दायै                        ८०
  छन्दसांनिधये
  अङ्गुलीपर्वसंस्थानायै
  चतुर्विंशतिमुद्रिकायै
  ब्रह्ममूर्त्यै
  रुद्रशिखायै
  सहस्रपरमाम्बिकायै
  विष्णुहृदयायै
  अग्निमुख्यै
  शतमध्यायै
  दशावरणायै                         ९०
  सहस्रदलपद्मस्थायै
  हंसरूपायै
  निरञ्जनायै
  चराचरस्थायै
  चतुरायै
  सूर्यकोटिसमप्रभायै
  पञ्चवर्णमुख्यै
  धात्र्यै
  चन्द्रकोटिशुचिस्मितायै
  महामायायै                         १००
  विचित्राङ्ग्यै
  मायाबीजनिवासिन्यै
  सर्वयन्त्रात्मिकायै
  सर्वतन्त्ररूपायै
  जगद्धितायै
  मर्यादापालिकायै
  मान्यायै
  महामन्त्रफलप्रदायै                 १०८         

      

DHARMA SHASTA ASHTOTTARA SATANAMAVALI

     श्री  धर्मशास्ता अष्टोत्तरशतनामावलिः
Chant prefixing ‘’ओं”  and
suffixing ’नमः’
 ओं महाशास्त्रे नमः
    महादेवाय
    महादेवसुताय
    अव्ययाय 
    लोककर्त्रे
    लोकभर्त्रे
    लोकहन्त्रे
    परात्पराय
    त्रिलोकरक्षकाय
    धन्विने
                    १०
    
    तपस्विने
    भूतसैन्यकाय
    मन्त्रवेदिने
    महावेदिने
    मारुताय
    जगदीश्वराय
    लोकाध्यक्षाय
    अग्रण्यै
    श्रीमते
    अप्रमेयपराक्रमाय             २०
    सिंहारूढाय
    गजारूढाय
    हयारूढाय
    महेश्वराय
    नानाशास्त्रधराय
    अनर्घाय
    नानाविद्याविशारदय
    नानारूपधराय
    वीराय
    नानाप्राणिनिषेविताय           ३०
    भूतेशाय
    पूजिताय
    भृत्याय
    भुजंगाभरणोत्तमाय
    इक्षुधन्विने
    पुष्पबाणाय
    महारूपाय
    महाप्रभवे
    मायादेवीसुताय
    मान्याय                      ४०
    
    महानीताय
    महागुणाय
    महाशैवाय
    महारुद्राय
    वैष्णवाय
    विष्णुपूजकाय
    विघ्नेशाय
    वीरभद्रेशाय                 
    भैरवाय
    षण्मुखध्रुवाय            ५०
    मेरुशृंगसमासीनाय
    मुनिसंघनिषेविताय
    देवाय
    भद्राय
    जगन्नाथाय
    गणनाथाय
    गणेश्वराय
    महायोगिने
    महामायिने
    महाज्ञानिने             ६०
    
    महाधिपाय  
    देवशास्त्रे
    भूतशास्त्रे
    भीमहासपराक्रमाय
    नागहाराय
    नागेशाय
    व्योमकेशाय
    सनातनाय
    निर्गुणाय              ७०  
  
    नित्याय
    नित्यतृप्ताय
    निराश्रयाय
    लोकाश्रयाय
    गुणाधीशाय
    चतुःषष्टिकलामयाय
    ऋग्यजुःसामरूपिणे
    मल्लकासुरभञ्जनाय
    दैत्यमथनाय            ८०
  
     प्रकृतये
     पुरुषोत्तमाय
     कालज्ञानिने
     सुगुणाय
     महाज्ञानिने
     कामदाय
     कमलेक्षणाय
     कल्पवृक्षाय     
     महावृक्षाय
     विद्यावृक्षाय            ९०
     विभूतिदाय
     संसारतापविच्छेत्रे
     पशुलोकभयंकराय
     रोगहन्त्रे
     प्राणदात्रे
     परगर्वविभञ्जनाय
     सर्वशास्त्रार्थतत्त्वज्ञाय
     नीतिमते
     पापभञ्जनाय
     पुष्कलापूर्णसम्युक्ताय          १००
     
     परमात्मने
     सतां
गतये
     अनन्तादित्यसंकाशाय
     सुब्रह्मण्यानुजाय
     बलिने
     भक्तानुकंपिने
     देवेशाय
     भगवते
     भक्तवत्सलाय          १०८            

SATYANARAYANA ASHTOTTARA SATANAMAVALI

श्री सत्यनारायण अष्टोत्तरशतनामावलिः
Chant prefixing ‘’ओं” 
and suffixing ’नमः’
ओं सत्यदेवाय नमः
   सत्यधाम्ने
   सत्यभूताय
   सत्यपुरुषाय
   सत्यनाथाय
   सत्यसाक्षिणे
   सत्ययोगाय
   सत्यज्ञानाय
   सत्यज्ञानप्रियाय
   सत्यनिधये                     १०
   सत्यसंभवाय
   सत्यप्रभवे
   सत्येश्वराय
   सत्यकामिने
   सत्यपवित्राय
   सत्यमङ्गलाय
   सत्यकल्पाय
   सत्यप्रजापतये
   सत्यविक्रमाय
   सत्यसिद्धाय             
      २०
   सत्यच्युताय
   सत्यवीराय
   सत्यबोधाय
   सत्यधर्माय
   सत्यऽग्रजाय
   सत्यसन्तुष्टाय
  
सत्यवराहाय
   सत्यपरायणाय
   सत्यपूर्णाय
   सत्यौषधाय                      ३०    
                     
   सत्यशाश्वताय
   सत्यप्रवर्तनाय
   सत्यविभवे
   सत्यज्येष्ठाय
   सत्यश्रेष्ठाय
   सत्यविक्रमिणे
   सत्यधन्विने
   सत्यमेधाय
   सत्यधीराय
   सत्यक्रतवे                       ४०
   सत्यकलाय
  
सत्यवत्सलाय
   सत्यवसवे
   सत्यऽमोघाय
   सत्यरुद्राय
   सत्यब्रह्मणे
   सत्यऽमृताय
   सत्यवेदाङ्गाय
   सत्यचतुरात्मने
   सत्यभोक्त्रे                      ५०
   सत्यशुचये
   सत्यऽर्चिताय
   सत्येन्द्राय
   सत्यसङ्गाय
   सत्यसर्वगाय
   सत्यनियमाय
   सत्यवेदाय
   सत्यवेद्याय
   सत्यपीयूषाय
   सत्यमायाय                     ६०
   सत्यमोहाय
   सत्यसुरनन्दाय
   सत्यसागराय
   सत्यतपसे
   सत्यसिंहाय
   सत्यमृगाय
   सत्यलोकपालकाय
   सत्यस्थिराय
   सत्यौषधाय
   सत्यदिक्पालकाय                 ७०
   सत्यधनुर्धराय
   सत्यभुजाय
   सत्यवाक्याय
   सत्यगुरवे
   सत्यन्यायाय
   सत्यसाक्षिणे
   सत्यसंवृताय
   सत्यसंप्रदाय
   सत्यवह्नये
   सत्यवायवे                      ८०
  
   सत्यशिक्षाय
   सत्यानन्दाय
   सत्यनीरजाय
   सत्यश्रीपादाय
   सत्यगुह्याय
   सत्योदराय
   सत्यहृदयाय
   सत्यकमलाय
   सत्यनालाय
   सत्यहस्ताय                     ९०
   सत्यबाहवे
   सत्यजिह्वाय
   सत्यमुख्याय
   सत्यदंष्ट्राय
   सत्यनासिकाय
   सत्यश्रोत्रे
   सत्यचक्षुषे
   सत्यशिरसे
   सत्यमकुटाय
   सत्यांबराय                      १००
   सत्याभरणाय
   सत्यायुधाय
   सत्यश्रीवल्लभाय
   सत्यगुप्ताय
   सत्यधृताय
   सत्यभामारताय
   सत्यग्रहरूपिणे
 ओं श्री सत्यनारायणस्वामिने नमः १०८

  

TULASI ASHTOTTARA SATANAMAVALI

 तुलस्यष्टोत्तरशतनामावलिः
Chant prefixing ओं 
and suffixing नमः
ओं तुलस्यै नमः
पावन्यै
पूज्यायै
वृन्दावननिवासिन्यै
ज्ञानदात्र्यै
ज्ञानमय्यै
निर्मलायै
सर्वपूजितायै
सत्यै
पतिव्रतायै                       १०
वृन्दायै
क्षीराब्धिमथनोद्भवायै
कृष्णवर्णायै
रोगहन्त्र्यै
त्रिवर्णायै
सर्वकामदायै
लक्ष्मीसख्यै
नित्यशुद्धायै
सुदत्यै
भूमिपावन्यै                     २०
हरिध्यानैकनिरतायै
हरिपादकृतालयायै
पवित्ररूपिण्यै
धन्यायै
सुगन्धिन्यै
अमृतोद्भवायै
सुरूपारोग्यदायै
तुष्टायै
शक्तित्रितयरूपिण्यै
देव्यै                           ३०
देवर्षिसंस्तुत्यायै
कान्तायै
विष्णुमनःप्रियायै
भूतवेतालभीतिघ्न्यै
महापातकनाशिन्यै
मनोरथप्रदायै
मेधायै
कान्त्यै
विजयदायिन्यै
शंखचक्रगदा पद्मधारिण्यै                 ४०
कामरूपिण्यै  
अपवर्गप्रदायै
श्यामायै
कृशमध्यायै
सुकेशिन्यै
वैकुण्ठवासिन्यै
नन्दायै
बिंबोष्ठ्यै
कोकिलस्वनायै
कपिलायै                        ५०
निम्नगाजन्मभूम्यै
आयुष्यदायिन्यै
वनरूपायै
दुःखनाशिन्यै
अविकारायै
चतुर्भुजायै
गरुत्मद्वाहनायै
शान्तायै
दान्तायै
विघ्ननिवारिण्यै                        ६०
विष्णुमूलिकायै
पुष्टायै
त्रिवर्गफलदायिन्यै
महाशक्त्यै
र्महामायायै
लक्ष्मीवाणीसुपूजितायै
सुमंगल्यर्चनप्रीतायै
सौमङ्गल्यविवर्धिन्यै
चातुर्मासोत्सवाराध्यायै
विष्णुसान्निध्यदायिन्यै                       ७०
उत्तानद्वादशीपूज्यायै
सर्वदेवप्रपूजितायै
गोपीरतिप्रदायै
नित्यायै
निर्गुणायै
पार्वतीप्रियायै
अपमृत्युहरायै
राधाप्रियायै
मृगविलोचनायै   
अम्लानायै                           ८०                      
हंसगमनायै
कमलासनवन्दितायै
भूलोकवासिन्यै
शुद्धायै
रामकृष्णादिपूजितायै
सीतापूज्यायै
राममनःप्रियायै
नन्दनसंस्थितायै
सर्वतीर्थमय्यै                         
मुक्तायै                         ९०
लोकसृष्टिविधायिन्यै
प्रातर्दृश्यायै
ग्लानिहन्त्र्यै
वैष्णव्यै
सर्वसिद्धिदायै
नारायण्यै
सन्ततिदायै
मूलमृद्धारिपावन्यै
अशोकवनिकासंस्थायै
सीताध्यातायै                         १००
निराश्रयायै
गोमतीसरयूतीररोपितायै
कुटिलालकायै
अपात्रभक्ष्यपापघ्न्यै
दानतोयविशुद्धिदायै
श्रुतिधारणसुप्रीतायै
शुभायै
सर्वेष्टदायिन्यै                         १०८

DATTATREYA ASHTOTTARA SATANAMAVALI

 श्री दत्तात्रेय अष्टोत्तरशतनामावलि:
Chant the names prefixing
’ओं’ and suffixing ‘नमः’
ओंकारतत्त्वरूपाय
दिव्यज्ञानात्मने
अतीतमहाधाम्ने
ऐन्द्रर्ध्यौजसे
नष्टमत्सरगम्याय
आगमाचरवर्त्मने
मोचितामेध्यकृतये
ह्रींबीजश्राणितश्रिये
मोहादिविभ्रमान्ताय
बहुकायधराय                         १०
भक्तदुर्वैभवच्छेत्रे
क्लींबीजवरजापिने
भवहेतुविनाशाय
राजच्छोणाधराय
गतिप्रकंपिताण्डाय
चारुव्यायतबाहवे
यमादियतचेतसे
वशिताय
अजातवश्याय
मुण्डिने                         २०
अनसूयवे
वदद्वरेण्याय
वाग्जालविस्पष्टाय
विविधात्मने
तपोधनाय
प्रसन्नात्मने
इडापतिस्तुतकीर्तये
तेजोमण्यन्तरङ्गाय
अमरसद्मविहारिणे
आन्तरस्थानसंस्थाय               ३०                                
ऐश्वर्यश्रौतगीतये
वातादिभययुग्भावहेतवे            
हेतुहेतवे
जगदात्मतत्त्वभूताय
विद्विषत्षट्कघातिने
सुरवर्गोद्धृते
भूत्यै
असुरावासभेदिने
नेत्रे
नयनाक्ष्णे                       ४०
अचिच्चेतनाय
महात्मने
देवादिदेवदेवाय                       
वसुधासुरपालिने
याजिनामग्रगण्याय
द्रांबीजजपनिष्ठाय
वासनावनदावाय
धूलियुक्देहमालिने
यतिसन्यासगतये                     
दत्तात्रेयेतिसंविदे                   ५०
यजनास्यभुजे
अजाय
तारकावासगामिने
महाजवाय
अस्पृग्रूपाय
आत्ताकाराय
विरूपिणे
नराय
धीप्रदीपाय           
यशस्विने                  ६०
हारिणे
उज्ज्वलाङ्गाय
अत्रेस्तनूजाय
शम्भवे
मोचितामरसंघाय
धीमतांधीकराय
बलिष्ठविप्रलम्भाय
यागहोमप्रियाय                  
भजन्महिमविख्यात्रे
अमरारिमहिमच्छिदे                    ७०
लाभाय
मुण्डिपूज्याय
यमिने
हेममालिने
गतोपाधिव्याधये
हिरण्याहितकान्तये
यतीन्द्रचर्यादधते
नरभावौषधाय                   
वरिष्ठयोगिपूज्याय
तन्तुसन्तन्वते                   ८०
स्वात्मगाथासुतीर्थाय
सुश्रिये
षट्कराय
तेजोमयोत्तमाङ्गाय
नोदनानोद्यकर्मणे
हान्याप्तिमृतिविज्ञात्रे
कारितसुभक्तये                        
रुक्सुङ्मनःखेदहृते
दर्शनाविषयात्मने
नरतत्त्वप्रकाशिने                  ९०
द्रावितप्रणताघाय
अतत्त्वजिष्णवे
स्वराशये
राजत्त्रयास्यैकरूपाय
यतये
चोदनातीताय
प्रचारप्रभवे
मानरोषविहीनाय
शिष्यसंसिद्धिकारिणे
गन्त्रे                           १००
पादविहीनाय
चोदनाचोदितात्मने
यवीयसे
अलर्गदुःखवारिणे
अखण्डितात्मने
ह्रींबीजाय
अर्जुनेष्टाय
ब्रह्मचारिणे                            १०८

GAKAARA GANAPATI ASHTOTTARA SATANAMAVALI

       गकार गणपति अष्टोत्तरशतनामावलिः
Chant the names with prefix ’ओं’  and suffix ‘नमः’
गणेश्वराय
गणाध्यक्षाय
गणत्रात्रे
गणञ्जयाय
गणनाथाय
गणक्रीडाय
गणकेलिपरायणाय
गणप्राज्ञाय
गणधाम्ने
गणप्रवणमानसाय                 १०
गणसौख्यप्रदात्रे
गणभूतये
गणेष्टदाय
गणराजाय
गणश्रीदाय
गणगौरवदायकाय
गुणातीताय 
गुणस्रष्ट्रे
गुणत्रयविभागकृते
गुणप्रचारिणे                     २०
गुणवते
गुणहीनपराङ्मुखाय
गुणप्रविष्टाय
गुणपाय   
गुणज्ञाय
गुणबन्धनाय
गजराजाय
गजपतये
गजकर्णाय
गजाननाय                 ३०
गजदन्ताय
गजाधीशाय
गजरूपाय
गजध्वनये
गजमुखाय
गजवन्द्याय
गजदन्तधराय
गजाय
गजराजे
गजयूथस्थाय                    ४०
गर्जितत्रातविष्टपाय
गजदैत्यासुरहराय
गजगञ्जकभञ्जकाय
गानश्लाघिने
गानगम्याय
गानतत्त्वविवेचकाय
गानज्ञाय
गानचतुराय
गानज्ञानपरायणाय
गुरुप्रियाय                       ५०
गुरुगुणाय
गुरुतत्त्वार्थदर्शनाय
गुरुवन्द्याय
गुरुभुजाय
गुरुमायाय
गुरुप्रभाय
गुरुविद्याय
गुरुप्राणाय
गुरुबाहुबलाश्रयाय
गुरुकण्ठाय                 ६०
गुरुस्कन्धाय
गुरुजङ्घाय
गुरुप्रदाय
गुर्वङ्गुलये
गुरुबलाय
गुरुश्रिये
गुरुगर्वनुते
गुरूरसे
गुरुपीनांसाय     
गुरुप्रणयलालसाय                 ७०
गुरुधर्मसदाराध्याय
गुरुमान्यप्रदायकाय
गुरुधर्माग्रगण्याय
गुरुशास्त्रालयाय
गुरुमन्त्राय
गुरुश्रेष्ठाय
गुरुसंसारदुःखभिदे
गुरुपुत्रप्राणदात्रे
गुरुपाषण्डखण्डकाय
गुरुपुत्रार्तिशमनाय                 ८०
गौरभानुपरित्रात्रे
गौरभानुवरप्रदाय
गौरीतेजस्समुत्पन्नाय
गौरीहृदयनन्दनाय
गौरीस्तनन्धयाय
गौरीमनोवाञ्छितसिद्धिकृते
गौतमीतीरसञ्चारिणे
गौतमाभयदायकाय
गोपालाय                       ९०
गोधनाय
गोपाय
गोपगोपीसुखावहाय
गोष्ठप्रियाय
गोलोकाय
गोदोग्ध्रे
गोपयःप्रियाय
ग्रन्थसंशयसंछेदिने
ग्रन्थिभिदे
ग्रन्थविघ्नघ्ने               १००
गयातीर्थफलाध्यक्षाय
गयासुरवरप्रदाय
गकारबीजनिलयाय
गकाराय
ग्रहवन्दिताय
गर्भदाय
गणकश्लाघ्याय
गुरुराज्यसुखप्रदाय                 १०८
    

GANESHA ASHTOTTARA SATANAMAVALI-5

   श्री गणेशाष्टोत्तरशतनामावलिः-5
Chant the names prefixing ‘ओं’ and suffixing ‘नमः
गणेशाय
हेरंबाय
गजाननाय
महोदराय
स्वानुभवप्रकाशिने
वरिष्ठाय
सिद्धिप्रदाय
बुद्धिनाथाय
अनेकविघ्नान्तकाय
वक्रतुण्डाय                      १०
स्वसंज्ञावासिने
चतुर्भुजाय
कवीशाय
देवान्तकनाशकारिणे
महेशसूनवे
गजदैत्यशत्रवे
वरेण्यसूनवे
विकटाय
त्रिनेत्राय
परेशाय                         २०
पृथ्वीधराय
एकदन्ताय
प्रमोदाय
मोदाय
नरान्तकारये
षडूर्मिहन्त्रे
गजकर्णाय
डुण्ढये
द्वन्द्वारिसिन्धवे
स्थिरभावकारिणे                  ३०
विनायकाय
ज्ञानविघातशत्रवे
पराशरस्यात्मजाय
विष्णुपुत्राय
अनादिपूज्याय
आखुगाय
सर्वपूज्याय
वैरिञ्च्याय
लम्बोदराय
धूम्रवर्णाय                       ४०
मयूरपालाय
मयूरवाहिने
सुरासुरैस्सेवितपादपद्माय
करिणे
महाखुध्वजाय
शूर्पकर्णाय
शिवाय
अजसिंहस्थाय
अनन्तवाहाय
दितौजविघ्नेश्वराय            ५०
शेषनाभये
अणोरणीयसे
महतोमहीयसे
रवोर्जाय
योगेशजाय
ज्येष्ठराजाय
निधीशाय
मन्त्रेशाय
शेषपुत्राय
वरप्रदात्रे                        ६०
अदितेस्सूनवे
परात्पराय
ज्ञानदाय
तारवक्त्राय
गुहाग्रजाय
ब्रह्मपाय
पार्श्वपुत्राय
सिन्धोश्शत्रवे
परशुपाणये
शमीशाय                       ७०
पुष्पप्रियाय
विघ्नहारिणे
दूर्वाङ्कुरैरर्चिताय
देवदेवाय
धियःप्रदात्रे
शमीप्रियाय
सुसिद्धिदात्रे
सुशान्तिदात्रे
अमेयमायाय
अमितविक्रमाय              ८०
द्विधाचतुर्थीप्रियाय
कश्यपाज्जाताय
धनप्रदाय
ज्ञानप्रदाय
प्रकाशाय
चिन्तामणये
चित्तविहारकारिणे
यमस्य शत्रवे
अभिमानशत्रवे
विधेर्जहन्त्रे                 ९०  
कपिलस्य सूनवे
विदेहस्वानन्दाय
अयोगयोगाय
गणस्य शत्रवे
कमलस्य शत्रवे
समस्तभावज्ञाय
अनादिमध्यान्ताय
ब्रह्मचारिणे
विभवे
जगद्रूपाय                       १००
गणेशाय
भूम्ने
पुष्टानां पतये
आखुगताय
भोक्त्रे
कर्त्रे
पात्रे
संहराय                    १०८

SHANMUKHA PRATIMUKHA ASHTOTTARA SATANAMAVALI -6

         श्रीषण्मुखप्रतिमुख अष्टोत्तरशतनामावलिः
                 षष्ठं मुखम्
    Chant the
names prefixing ’ओं’  and suffixing ‘नमः’
 ध्यानम्
उमाकोमलहस्ताभ्यां
संभावितललाटकम्।
हिरण्यकुण्डलं
वन्दे कुमारं पुष्करस्रजम्॥  
स्कन्दाय
गुहाय
षण्मुखाय
फालनेत्रसुताय
प्रभवे
पिङ्गलाय
कृत्तिकासूनवे
शिखिवाहनाय
द्विषड्भुजाय
द्विषण्णेत्राय                 १०
शक्तिधराय
पिशिताशप्रभञ्ज्जनाय
तारकासुरसंहारिणे
रक्षोबलविमर्दनाय
मत्ताय
प्रमत्ताय
उन्मत्ताय
सुरसैन्यसुरक्षकाय
देवसेनापतये
प्राज्ञाय                    २०
कृपालवे
भक्तवत्सलाय
उमासुताय
शक्तिधराय
कुमाराय
क्रौञ्चदारणाय
सेनान्ये
अग्निजन्मने
विशाखाय
शङ्करात्मजाय                   ३०
शिवस्वामिने
गणस्वामिने
सर्वस्वामिने
सनातनाय
अनन्तशक्तये
अक्षोभ्याय
पार्वतीप्रियनन्दनाय
गङ्गासुताय
शरोद्भूताय
आत्मभुवे                       ४०
पावकात्मजाय
जृंभाय
प्रजृंभाय
उज्जृंभाय
कमलासनसंस्तुताय
एकवर्णाय
द्विवर्णाय
त्रिवर्णाय
सुमनोहराय
चतुर्वर्णाय                       ५०
पञ्चवर्णाय
प्रजापतये
अहस्पतये
अग्निगर्भाय
शमीगर्भाय
विश्वरेतसे
सुरारिघ्ने
हरिद्वर्णाय
शुभकराय
वासवाय                        ६०
वटुवेषभृते
पूष्णे
गभस्तये
गहनाय
चन्द्रवर्णाय
कलाधराय
मायाधराय
महामायिने
कैवल्याय
शंकरात्मजाय                         ७०
विश्वयोनये
अमेयात्मने
तेजोनिधये
अनामयाय
परमेष्ठिने
परब्रह्मणे
वेदगर्भाय
विराट्सुताय
पुलिन्दकन्याभर्त्रे
महासारस्वतप्रदाय                 ८०
आश्रिताखिलदात्रे
चोरघ्नाय
रोगनाशनाय
अनन्तमूर्तये
आनन्दाय
शिखण्डीकृतकेतनाय
डम्भाय
परमडम्भाय
महाडम्भाय
वृषाकपये                       ९०
कारणोपात्तदेहाय
कारणातीतविग्रहाय
अनीश्वराय
अमृताय
प्राणाय
प्राणायामपरायणाय
विरुद्धहन्त्रे
वीरघ्नाय
रक्तश्यामगलाय
महते                       १००
सुब्रह्मण्याय
गुहाय
गुण्याय
ब्रह्मण्याय
ब्राह्मणप्रियाय
वंशवृद्धिकराय
वेदवेद्याय
अक्षय्यफलप्रदाय             १०८