SRI SUDARSANA SHATKAM

                           श्रीसुदर्शनषट्कम्
सहस्रादित्यसङ्काशं सहस्रवदनं प्रभुम्।
सहस्रदोः सहस्रारं प्रपद्येऽहं सुदर्शनम् ॥१॥
हसन्तं हारकेयूरमुकुटाङ्गदभूषणम्।
भूषणैर्भूषिततनुं प्रपद्येऽहं सुदर्शनम् ॥२॥
साकारसहितं मन्त्रं पठन्तं शत्रुनिग्रहम्।
सर्वरोगप्रशमनं प्रपद्येऽहं सुदर्शनम् ॥३॥
रणत्किङ्किणिजालेन राक्षसघ्नं महाद्भुतम्।
व्याप्तकेशं विरूपाक्षं प्रपद्येऽहं सुदर्शनम्॥४॥
हुंकारभैरवं भीमं  प्रणतार्तिहरं प्रभुम्।
सर्वपापप्रशमनं प्रपद्येऽहं सुदर्शनम् ॥५॥
फट्कारान्तमनिर्देश्यं महामंत्रेण संयुतम्।
शुभं प्रसन्नवदनं प्रपद्येऽहं सुदर्शनम् ॥६॥

HYMNS TO SUDARSHANA – SUDARSHANASHTAKAM

२०. श्री सुदर्शनाष्टकम्
      (श्री वॆङ्कटनायकप्रणीतम्)
प्रतिभटश्रॆणिभीषण वरगुणस्तॊम भूषण
जनिभय स्थानतारण जगदवस्थानकारण ।       
निखिलदुष्कर्मकर्शन निगमसद्धर्मदर्शन
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ १ ॥
शुभजगद्रूपमण्डन सुरगणत्रासखण्डन
शतमख ब्रह्मवन्दित शतपथब्रह्मनन्दित ।
प्रथित विद्वत्-सपक्षित भवदहिर्बुध्न्यलक्षित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ २ ॥
स्फुटतटिज्जालपिञ्जर पृथुतरज्वालपञ्जर
परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह ।
प्रहरण ग्राममण्डित परिजनत्राण पण्डित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ३ ॥
निजपदप्रॊत सद्गण निरुपधि स्फीत षड्गुण
निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव ।
हरिहयद्वॆषि दारण हरपुरप्लॊषकारण
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ४ ॥
दनुजविस्तार कर्तन जनितमिस्राविकर्तन
दनुजविद्या निकर्तन भजदविद्या निवर्तन ।
अमरहृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ५ ॥
प्रतिमुखालीढबन्धुर पृथुमहाहॆतिदन्तुर
विकटमायाबहिष्कृत विविधमाला परिष्कृत ।
पृथुमहायन्त्र तन्त्रित दृढदयातन्त्रयन्त्रित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ६ ॥
महित संपत्-सदक्षर विहित संपत्-षडक्षर
षडारचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्वप्रतिष्ठित ।
विविधसङ्कल्पकल्पक विबुधसङ्कल्पकल्पक
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ७ ॥
भुवननॆतस्त्रयीमय सवन तॆजस्त्रयीमय
निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्तॆ जगन्मय ।
अमित विश्वक्रियामय शमित विष्वग्-भयामय
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ८ ॥
द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं पठतां वॆङ्कटनायकप्रणीतम् ।
विषमॆऽपि मनॊरथः प्रधावन् न विहन्यॆत रथाङ्गधुर्यगुप्तः ॥ ९ ॥