DURGA ASHTOTTARA SATANAMAVALI-1

दुर्गाष्टोत्तरशतनामावलिः
ओं देव्यै नमः
ओं दुर्गायै नमः
ओं त्रिभुवनेश्वर्यै नमः
ओं यशोदागर्भसंभूतायै नमः
ओं नारायणवरप्रियायै नमः
ओं नन्दगोपकुलेजातायै नमः
ओं मङ्गल्यायै नमः
ओं कुलवर्धिन्यै नमः
ओं कंसविद्रावणकर्यै नमः
ओं असुरक्षयंकर्यै नमः                     १०
ओं शिलातटविनिक्षिप्तायै नमः
ओं आकाशगामिन्यै नमः
ओं वासुदेवभगिन्यै नमः
ओं दिव्यमाल्यविभूषितायै नमः
ओं दिव्यांबरधरायै नमः
ओं खड्गखेटकधारिण्यै नमः
ओं शिवायै नमः
ओं पापतारिण्यै नमः
ओं वरदायै नमः
ओं कृष्णायै नमः                         २०
ओं कुमार्यै नमः
ओं ब्रह्मचारिण्यै नमः
ओं बालार्कसदृशाकारायै नमः
ओं पूर्णचन्द्रनिभाननायै नमः
ओं चतुर्भुजायै नमः
ओं चतुर्वक्त्रायै नमः
ओं पीनश्रोणिपयोधरायै नमः
ओं मयूरपिच्छवलयायै नमः
ओं केयूरांगदधारिण्यै नमः
ओं कृष्णच्छविसमायै नमः                ३०
ओं किष्णायै नमः
ओं सङ्कर्षणसमाननायै नमः
ओं इन्द्रध्वजसमबाहुधारिण्यै नमः
ओं पात्रधारिण्यै नमः
ओं पंकजधारिण्यै नमः
ओं घंटाधारिण्यै नमः
ओं पाशधारिण्यै नमः
ओं धनुर्धारिण्यै नमः
ओं महाचक्रधारिण्यै नमः
ओं विविधायुधधरायै नमः                  ४०
ओं कुण्डलपूर्णकर्णविभूषितायै नमः
ओं चन्द्रविस्पर्धिमुखविराजितायै नमः
ओं मुकुटविराजितायै नमः
ओं शिखिपिच्छध्वजविराजितायै नमः
ओं कौमारव्रतधरायै नमः
ओं त्रिदिवपावयित्र्यै नमः
ओं त्रिदशपूजितायै नमः
ओं त्रैलोक्यरक्षिण्यै नमः
ओं महिषासुरनाशिन्यै नमः
ओं प्रसन्नायै नमः                        ५०
ओं सुरश्रेष्ठायै नमः
ओं शिवायै नमः
ओं जयायै नमः
ओं विजयायै नमः
ओं संग्रामजयप्रदायै नमः
ओं वरदायै नमः
ओं विन्ध्यावासिन्यै नमः
ओं काल्यै नमः
ओं कालरात्र्यै नमः
ओं महाकाल्यै नमः                       ६०
ओं सीधुप्रियायै नमः
ओं मांसप्रियायै नमः
ओं पशुप्रियायै नमः
ओं भूतानुसृतायै नमः
ओं वरदायै नमः
ओं कामचारिण्यै नमः
ओं पापहरिण्यै नमः
ओं कीर्त्यै नमः
ओं श्रियै नमः
ओं धृत्यै नमः                             ७०
ओं सिद्ध्यै नमः
ओं ह्रियै नमः
ओं विद्यायै नमः
ओं सन्तत्यै नमः
ओं मत्यै नमः
ओं सन्ध्यायै नमः
ओं रात्र्यै नमः
ओं प्रभायै नमः
ओं निद्रायै नमः
ओं ज्योत्स्नायै नमः                      ८०
ओं कान्त्यै नमः
ओं क्षमायै नमः
ओं दयायै नमः
ओं बन्धनाशिन्यै नमः
ओं मोहनाशिन्यै नमः
ओं पुत्रापमृत्युनाशिन्यै नमः
ओं धनक्षयनाशिन्यै नमः
ओं व्याधिनाशिन्यै नमः
ओं मृत्युनाशिन्यै नमः
ओं भयनाशिन्यै नमः                      ९०
ओं पद्मपत्राक्ष्यै नमः
ओं दुर्गायै नमः
ओं शरण्यायै नमः
ओं भक्तवत्सलायै नमः
ओं सौख्यदायै नमः
ओं आरोग्यदायै नमः
ओं राज्यदायै नमः
ओं आयुर्दायै नमः
ओं वपुर्दायै नमः
ओं सुतदायै नमः                          १००
ओं प्रवासरक्षिकायै नमः
ओं नगररक्षिकायै नमः
ओं संग्रामरक्षिकायै नमः
ओं श्त्रुसंकटरक्षिकायै नमः
ओं अटवीदुर्गकान्ताररक्षिकायै नमः
ओं सागररक्षिकायै नमः
ओं गिरिरक्षिकायै नमः
ओं सर्वकार्यसिद्धिप्रदायिकायै नमः             १०८ 
  इति दुर्गष्टोत्तरशतनामावलिः
      

Sri P R Ramamurthy Ji was the author of this website. When he started this website in 2009, he was in his eighties. He was able to publish such a great number of posts in limited time of 4 years. We appreciate his enthusiasm for Sanskrit Literature. Authors story in his own words : http://ramamurthypr1931.blogspot.com/

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