SRI GADADHARA STOTRAM

   श्रीगदाधरस्तोत्रम्
घनचेतनमक्रियमादिमजं
   चिर-निश्चल-निष्कल-निर्विरुजम्।
सुखसद्म-विशुद्ध-विबुद्धवरं
   प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥१॥
 शत-शौरि-मुरारि-तरङ्गयुतं
    अयुतायुत-भास्कर-कुक्षिधृतम्
  सुविशाल-समुद्र-सुदभ्रकरं
     प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥२॥
   क्षुदिराम-विराम-विलासकरं
      छलजृम्भितकारणकार्यबलम्।
  जितकाञ्चनकाम-प्रपञ्चहरं
      प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥३॥
   युगधर्मप्रवर्तक-गुप्तनरं
     जनपावन-गाङ्ग्यतटावसथम्।
   शिशुसौम्यमगम्य-प्रणम्यवरं
     प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥४॥
 शिव-केशव-वासव-सङ्गयुतं
    अवतारगरिष्ठमरिष्टहृतम्।
 अघमोचन-दुष्कृतमुक्तिकरं
   प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥५॥
करुणाघन-कर्मकठोर-पणं
   गुणहीनमपापमशेषगुणम्।
युगचक्रविवर्तक-तर्कहरं
   प्रणमामि गदाधर-ब्रयह्मपरम् ॥६॥
शुभबेलुडमन्दिरसन्निहितं
   निज शिष्य-प्रशिष्य-विशेषतरम्।
शिवमोक्षधनेश्वरमादिगुरुं
   प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥७॥
सुगभीर-समाधि-समुद्रगतं
   कृतभक्तिविकासन-विश्वहितम्।
तव नाम शुभं भवतापहरं
  प्रणमामि गदाधर-ब्रह्मपरम्
॥८॥
 

Sri P R Ramamurthy Ji was the author of this website. When he started this website in 2009, he was in his eighties. He was able to publish such a great number of posts in limited time of 4 years. We appreciate his enthusiasm for Sanskrit Literature. Authors story in his own words : http://ramamurthypr1931.blogspot.com/

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