SATYANARAYANA ASHTOTTARA SATANAMAVALI

श्री सत्यनारायण अष्टोत्तरशतनामावलिः
Chant prefixing ‘’ओं” 
and suffixing ’नमः’
ओं सत्यदेवाय नमः
   सत्यधाम्ने
   सत्यभूताय
   सत्यपुरुषाय
   सत्यनाथाय
   सत्यसाक्षिणे
   सत्ययोगाय
   सत्यज्ञानाय
   सत्यज्ञानप्रियाय
   सत्यनिधये                     १०
   सत्यसंभवाय
   सत्यप्रभवे
   सत्येश्वराय
   सत्यकामिने
   सत्यपवित्राय
   सत्यमङ्गलाय
   सत्यकल्पाय
   सत्यप्रजापतये
   सत्यविक्रमाय
   सत्यसिद्धाय             
      २०
   सत्यच्युताय
   सत्यवीराय
   सत्यबोधाय
   सत्यधर्माय
   सत्यऽग्रजाय
   सत्यसन्तुष्टाय
  
सत्यवराहाय
   सत्यपरायणाय
   सत्यपूर्णाय
   सत्यौषधाय                      ३०    
                     
   सत्यशाश्वताय
   सत्यप्रवर्तनाय
   सत्यविभवे
   सत्यज्येष्ठाय
   सत्यश्रेष्ठाय
   सत्यविक्रमिणे
   सत्यधन्विने
   सत्यमेधाय
   सत्यधीराय
   सत्यक्रतवे                       ४०
   सत्यकलाय
  
सत्यवत्सलाय
   सत्यवसवे
   सत्यऽमोघाय
   सत्यरुद्राय
   सत्यब्रह्मणे
   सत्यऽमृताय
   सत्यवेदाङ्गाय
   सत्यचतुरात्मने
   सत्यभोक्त्रे                      ५०
   सत्यशुचये
   सत्यऽर्चिताय
   सत्येन्द्राय
   सत्यसङ्गाय
   सत्यसर्वगाय
   सत्यनियमाय
   सत्यवेदाय
   सत्यवेद्याय
   सत्यपीयूषाय
   सत्यमायाय                     ६०
   सत्यमोहाय
   सत्यसुरनन्दाय
   सत्यसागराय
   सत्यतपसे
   सत्यसिंहाय
   सत्यमृगाय
   सत्यलोकपालकाय
   सत्यस्थिराय
   सत्यौषधाय
   सत्यदिक्पालकाय                 ७०
   सत्यधनुर्धराय
   सत्यभुजाय
   सत्यवाक्याय
   सत्यगुरवे
   सत्यन्यायाय
   सत्यसाक्षिणे
   सत्यसंवृताय
   सत्यसंप्रदाय
   सत्यवह्नये
   सत्यवायवे                      ८०
  
   सत्यशिक्षाय
   सत्यानन्दाय
   सत्यनीरजाय
   सत्यश्रीपादाय
   सत्यगुह्याय
   सत्योदराय
   सत्यहृदयाय
   सत्यकमलाय
   सत्यनालाय
   सत्यहस्ताय                     ९०
   सत्यबाहवे
   सत्यजिह्वाय
   सत्यमुख्याय
   सत्यदंष्ट्राय
   सत्यनासिकाय
   सत्यश्रोत्रे
   सत्यचक्षुषे
   सत्यशिरसे
   सत्यमकुटाय
   सत्यांबराय                      १००
   सत्याभरणाय
   सत्यायुधाय
   सत्यश्रीवल्लभाय
   सत्यगुप्ताय
   सत्यधृताय
   सत्यभामारताय
   सत्यग्रहरूपिणे
 ओं श्री सत्यनारायणस्वामिने नमः १०८

  

Sri P R Ramamurthy Ji was the author of this website. When he started this website in 2009, he was in his eighties. He was able to publish such a great number of posts in limited time of 4 years. We appreciate his enthusiasm for Sanskrit Literature. Authors story in his own words : http://ramamurthypr1931.blogspot.com/

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