GAURI ASHTOTHARA SATANAMA STOTRAM

गौर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

गौरी गणेशजननी गिरिराजतनूद्भवा
गुहांबिका जगन्माता गंगाधरकुटुंबिनी ॥१-६॥
वीरभद्रप्रसूः विश्वव्यापिनी विश्वरूपिणी
अष्टमूर्त्यात्मिका कष्टदारिद्र्यशमनी शिवा ॥७-१२॥
शांभवी शंकरी बाला भवानी भद्रदायिनी
मांगल्यदायिनी सर्वमंगला मञ्जुभाषिणी ॥१३-२०॥
महेश्वरी महामाया मंत्राराध्या महाबला
हेमाद्रिजा हैमवती पार्वती पापनाशिनी ॥२१-२८॥
नारायणांशजा नित्या निरीशा निर्मलाऽम्बिका
मृडानी मुनिसंसेव्या मानिनी मेनकात्मजा ॥२९-३७॥
कुमारी कन्यका दुर्गा कलिदोषनिषूदिनी
कात्यायनी कृपापूर्णा कल्याणी कमलार्चिता ॥३८-४५॥
सती सर्वमयी चैव सौभाग्यदा सरस्वती
अमलाऽमरसंसेव्या अन्नपूर्णाऽमृतेश्वरी ॥४६-५३॥
अखिलागमसंसेव्या सुखसच्चित्सुधारसा
बाल्याराधितभुतेशा भानुकोटिसमद्युतिः॥५४-५७॥
हिरण्मयी परा सूक्ष्मा शीतांशुकृतशेखरा
हरिद्राकुंकुमाराध्या सर्वकालसुमंगली ॥५८-६३॥
सर्वबोधप्रदा सामशिखा वेदान्तलक्षणा
कर्मब्रह्ममयी कामकलना कांक्षितार्थदा ॥६४-६९॥
चन्द्रार्कायितताटङ्का चिदंबरशरीरिणी
श्रीचक्रवासिनी देवी कला कामेश्वरप्रिया ॥७०-७५॥
मारारातिप्रियार्धांगी मार्कान्डेयवरप्रदा
पुत्रपौत्रप्रदा पुण्या पुरुषार्थप्रदायिनी ॥ ७६-८०॥
सत्यधर्मरता सर्वसाक्षिणि सर्वरूपिणी
श्यामला बगला चण्डी मातृका भगमालिनी ॥८१-८८॥
शूलिनी विरजा स्वाहा स्वधा प्रत्यंगिरांबिका
आर्या दाक्षायणी दीक्षा सर्ववस्तूत्तमोत्तमा ॥८९-९७॥
शिवाभिधाना श्रीविद्या प्रणवार्थस्वरूपिणी
ह्रींकारी नादरूपा च त्रिपुरा त्रिगुणेश्वरी* ॥९८-१०५॥
सुंदरी स्वर्णगौरी च षोडशाक्षरदेवता ॥१०६-१०८॥
*[त्रिगुणा and ईश्वरी two names]

Sri P R Ramamurthy Ji was the author of this website. When he started this website in 2009, he was in his eighties. He was able to publish such a great number of posts in limited time of 4 years. We appreciate his enthusiasm for Sanskrit Literature. Authors story in his own words : http://ramamurthypr1931.blogspot.com/

Author Socials Follow me

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.