श्री सीतादेवी अष्टोत्तरशनामावलिः
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prefix ‘ओं’ and suffix ‘नमः’
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श्री सीतायै
पतिव्रतायै
देव्यै
मैथिल्यै
जनकात्मजायै
अयोनिजायै
वीर्यशुल्कायै
शुभायै
सुरसुतोपमायै
विद्युत्प्रभायै १०
विशालाक्ष्यै
नीलकुञ्चितमूर्धजायै
अभिरामायै
महाभागायै
सर्वाभरणभूषितायै
पूर्णचन्द्राननायै
रामायै
धर्मज्ञायै
धर्मचारिण्यै
पतिसम्मानितायै २०
सुभ्रुवे
प्रियार्हायै
प्रियवादिन्यै
शुभाननायै
शुभापाङ्गायै
शुभाचारायै
यशस्विन्यै
मनस्विन्यै
मत्तकाशिन्यै
अनघायै ३०
तपस्विन्यै
धर्मपत्न्यै
वैदेह्यै
जानक्यै
मदिरेक्षणायै
तापस्यै
धर्मनिरतायै
नियतायै
ब्रह्मचारिण्यै
मृदुशीलायै ४०
चारुदत्यै
चारुनेत्रविलासिन्यै
उत्फुल्ललोचनायै
कान्तायै
भर्तृवात्सल्यभूषणायै
स्वभावतनुकायै
साध्व्यै
पद्माक्ष्यै
पङ्कजप्रियायै
विचक्षणायै ५०
अनवद्याङ्ग्यै
मृदुपूर्वाभिभाषिण्यै
अक्लिष्टमाल्याभरणायै
वरारोहायै
वराङ्गनायै
सत्यै
कमलपत्राक्ष्यै
मृगशावनिभेक्षणायै
महाकुलीनायै
बिम्बोष्ठ्यै ६०
पीतकौशेयवासिन्यै
वीरपार्थिवपत्न्यै
विशुद्धायै
विनयान्वितायै
सुकुमार्यै
सुमध्यायै
सुभगायै
सुप्रतिष्ठितायै
सर्वलोकमनोहरायै ७०
तरुणादित्यसङ्काशायै
तप्तकाञ्चनभूषणायै
सत्यव्रतपरायै
वरायै
हरिणलोचनायै
श्यामायै
विशुद्धभावायै
रामपादानुवर्तिन्यै
यशोधनायै
उदारशीलायै ८०
विमलायै
क्लेशनाशिन्यै
सुवृत्तायै
रामहृदयप्रियायै
आर्यायै
सुविभक्ताङ्ग्यै
विनाभरणशोभिन्यै
मान्यायै
कान्तस्मितायै ९०
कल्याण्यै
रुचिरप्रभायै
स्निग्धपल्लवसङ्काशायै
जाम्बूनदसमप्रभायै
अमलायै
शीलसंपन्नायै
इक्ष्वाकुकुलनन्दिन्यै
भद्रायै
शुद्धसमाचारायै
वरार्हायै १००
तनुमध्यमायै
प्रियकाननसञ्चारायै
सुकेश्यै
चारुहासिन्यै
हेमाभायै
राजमहिष्यै
शोभनायै
राघवप्रियायै १०८